ये शोर कैसा लगा आईना टूटा जैसा, जोड़ लो उसको वैसा आईना पे लगि दरारे मिट्टी नहीं, वो बदला नहीं पर सामने से गुज़र वि जाये तो बुलाता नहीं , किस तरीके का रिश्ता निभा रही , वक़्त के साथ लोगो के चेहरे बदलते देखा है , अपनों के हाथों मैं मैंने खंजर खोपते देखा है, तोड़ दूँ क्या चुप्पी तो सारी बाते खुल जाएगी , शायद सारी गलतियां धूल जाएगी ,सोचा नहीं था की दुख देने वाले की लिस्ट मैं सबसे ऊपर उसका नाम आएगा हारा हुआ सा लगता है वजूद मेरा कौन सच्चा कौन झूठा यहाँ हर एक ने दिल लूता , जल्द ही महसूस होगा तुझे , मेरा होना क्या था मेरा न होना क्या है|