शहज़ादा- शहज़ादा चिल्लाता हुआ,
उसकी खामियों को बताता हुआ ;
कोई, आया था !
सेवक कहकर , कोई बहरूपिया !
देश की सेवा, करने के बहाने ;
देश को अपने, अधीन करने आया था ।
कहता था," अच्छे दिन आएंगे " !
इसी आशा में बेचैन रातों को, सोने वालों ,
को, चौकीदार बनाकर, जगाने आया था ।
रातों की चैन, तो छोड़ो !
दिन भी, बुरे वो , अपने साथ लाया था ।
सपने सुहाने दिखाकर, वो तो ;
हमें निराशा से भहरने आया था ।
फ़क़ीर कहता था जो खुदको !
वो, पल-पल अपनी वेश-भूषा बदलकर आया था ।
इंसान था, जो कभी ;
वो खुदको, खुदा से भी ऊपर, बनाने आया था ।
कहता था," मुझे, वक़्त दो, मौका दो ,
मैं, सब कुछ बदलकर, सही कर दूंगा "।
वो, 56 इंच वाला ;
जन्नत को भी, जहन्नुम बनाने आया था !
देश की शांति, से बेफिक्र वो फ़क़ीर ;
धर्म और बेशर्मी की राजनीति करने आया था ।
वो अच्छे दिन वाला ;
दिन-रात बिन सोए, बुरे सपने,
साकार करने आया था ।
सेवक देश का बनकर वो तो ;
बस अपने, कुछ खास मालिकों की,
सेवा करने आया था ।
अच्छे दिन लाने वाला , वो तो ;
बुरे सपने साकार करने आया था ।
बुरे सपने साकार करने आया था ।।
~ ~FreelancerPoet
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Well said👏👏👏👏🔥🔥🔥🔥🔥