जो था अब रहा नही,
जो हूँ, किसीको पता नही,
जिस दिन चमकुंगा,बदर की चाँद सी,
सितारों की तरह तुम मुझे सराहना सही।
बहती आब हु मैं,थमी तालाब नहीं,
तेज़ किस्म का हूँ, रुके रहना फ़ितरत नहीं,
जब काश्त करूँगा,कामयाबी की गुलो को,
तब कहना कि मैं काबिल नहीं।
गुम सुम सा रहता हूँ,पर शांत नहीं,
जलती शमा हूँ पर आग नहीं,
खुद जलके रोशनी की बौछार कर दूं,
पिघलता हूँ, पर मुरझाता नहीं।।
~Ujjal P Sarkar
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Beautiful. 💙
Nice..!