जिस्मों की भूख मिटाने के खातिर ,
दो रूहों का आकर्षित होना ।
क्या यह प्यार ह ??
या ,
"रूहों का कुछ यूं मिल जाना ,
के, जिस्म भूखे हैं !
इसका पता ही न चले ;
जिस्म है या नहीं ,
इससे फर्क ही न पड़े ।"
यह प्यार है ??
या ,
"प्यार है , ये बताना पड़े ,
ज़ाहिर करने के खातिर ,
अपनी हया , गवानी भी पड़े "
यह प्यार है ??
या ,
"बीन बोले भी ज़ाहिर के देना ,
उसको गवाना मगर , बेहया न बनना "
यह प्यार है ??
अब तुम ही बोलो !
क्या प्यार है ?
अब तुम भी ही बोलो !
क्या , यह प्यार है ??
~~FreelancerPoet
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Pyaar toh bas ek anokha ehsaas hai,
Baaki jo naa samjh sake isse,
Unhe bas mitani apne hawas ki pyaas hai.
Pyaar toh rooh ka Sangam hai,
Par zismon ka sauda hi shayad aajkal ka naya andaz hai .