नाजाने क्यों ....
तेरे न होने का एहसास ,
नाजाने क्यों, सताने सा लगता है !
भीड़ में होकर भी अक्सर ,
नाजाने क्यों, तन्हाई का एहसास,
सताने सा लगता है ।
बातें तो, सबसे ही हँस कर किया करता हूँ ।
पर, जब भी तेरी याद आती है न ;
तो नाजाने क्यों, आसुओं का समंदर ,
तकिए को, भिगोने सा लगता है ।
रोशनी में, फिर भी ,
संभाल लेता हूँ खुदको ।
मगर, अंधेरों में नाजाने क्यों ?
बस, तेरी ही यादों में डूबने का मन ,
होने सा लगता है ।
और कभी-कभी नाजाने क्यों, मगर ;
इस शायर का मन,
बस इन खयालों में खोजाने का ,
होने सा लगता है ।
नाजाने क्यों, ऐसा होने लगता है ?
नाजाने क्यों, ऐसा होने लगता है ।।
©FreelancerPoet
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Song to read : Sun raha h na tu
it out with : ( Aashiqui 2)
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