गंभीर है अधीर है,
पर चलता रह तू चलता रह ।
विपत्तियों की वेदना से,
मत विचल तू मत विचल ।
संपूर्णता का दृश्य वो ,
थी मात्र एक मरीचिका ।
तू कर चुका विलाप भी ,
बिलख बिलख बिलख बिलख ।
बंधनो के पाश से ,
विमुक्त हो विमुक्त हो ।
खोल इन भुजाओं को ,
जो कर रही फड़क फड़क ।
है अग्नि जो निहित तेरे ,
दहकने दे धधक धधक।
तू स्वर्ण है ना भस्म हो ,
तू जाएगा निखर निखर ।
तू भीष्म है ,
तू भीष्म है ना क्षीण हो ,
तू रह अटल तू रह अटल ।
शौर्यता के मार्ग को ,
तू कर प्रशस्त कर प्रशस्त ।
तू सिंह है ,
तू सिंह है दहाड़ कर,
तू निःसंकोच वार कर।
गगनभेदी है गर्जना तू ,
है सःशस्त्र है सःशस्त्र ।
गगनभेदी है गर्जना ,
तू है सःशस्त्र है सःशस्त्र।
धन्यवाद मित्र
Bahut khoob janab! 👏