अजीब ज़िन्दगी जी रहे हैं ...
अजीब ज़िन्दगी जी रहे हैं ।
दिन भर मानो,
शाम होने का ही, इंतेज़ार कर रहे हैं ;
और, शाम होने पर ,
दिन भर की ही, बातों को याद कर रहे हैं ।
जब इन सब से थोड़ा आराम मिले ;
तो, रातों को जागकर ;
सवेर होने का ,
इंतेज़ार कर रहे हैं ।
हर पल, बीते लम्हों को याद कर ;
लम्हे, जी लेने की देखो ,
हम, बात कर रहे हैं ।
अजीब ज़िन्दगी जी रहे हैं ,
है ना ?
©FreelancerPoet
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अजीब ज़िन्दगी जी रहे हैं ...
है ना ??
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