बस थोड़ी देर और .....
अनदेखा,अभी बहुत कुछ है !
और, तू इस सफर में ,
एक मोड़ आने पर ही रुक गया ?
अभी तो, किताब के कई पन्ने बाकी है !
तू, कुछ पन्ने पढ़ कर ही ,
किताब को, पूरा समझ गया ?
अरे, थोड़ी देर और, चल कर तो देख !
सफर पर, क्या पता ?
कुछ, अलग ही तुझे मिल जाए ।
कुछ पन्ने किताब के, और पढ़ कर तो देख !
क्या पता, इसकी कहानी ;
कब, कहाँ बदल जाए ।
अभी, वैसे भी कई पल,
बाकी है तेरी ज़िन्दगी के ;
तो, कुछ पल और दे कर तो देख !
क्या पता, तुझे ज़िंदगी ही समझ आजाए ।
मौत की दस्तक ,
तेरे दरवाज़े पर ;
जब तक, उसकी ठक ठक न हो !
तब तक ,
कुछ पल, और दे कर तू देख ।
जब तक,
समय बाकी है तेरे इस जीवन का ;
तब तक,
कुछ पल और दे कर तो देख ।
शायद तुझे ,
जीवन का अपने मतलब, समझ ही आजाए !
शायद तुझे ,
तेरे सवालों का जवाब ही, मिल जाए ।
तब तक तू ,
बस थोड़े पल और, दे कर तो देख !
बस थोड़ी पल और ,
इन सवालों को, तू दे कर देख !
बस थोड़ी देर और ,
तू, सफर पर अपने, चल कर देख !
बस, थोड़ी देर और ।
बस ,थोड़ी सी देर, और ।।
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