तुझे याद करते करते अब मेरे दिन-रात गुज़रते हैं
साथ बिताये लम्हें मेरी आँखों के सामने से होकर गुज़रते हैं
तू साथ ना होकर भी साथ हैं मेरे
तेरी क़ब्र को छूँकर मेरे आँसू रोज़ गुज़रते हैं
"अजी सुनते हो....." ये बोल देहलीज़ से होकर गुज़रते हैं
तेरा रूठना,मेरा मनाना अब यादें बनकर ये पल गुज़रते हैं
मेरे ख़्वाबो मे आज भी हैं तेरा आना-जाना
और मेरा हर साल का़मिल कुछ इस तरह गुज़रते हैं.....
"दफ़्तर जा रहा हूँ" तेरी तस्वीर से कहकर गुज़रते हैं
बाजा़र में बिकती पायल अब बस देखकर ही गुज़रते हैं
हैं अब मेरी ज़िंदगी को बस तेरी यादों का सहारा,
तुझे याद करते करते अब मेरे दिन-रात गुज़रते हैं.....
~ कायनात सुल्ताना कु़रेशी
Beautiful 💙