यूं तो थमा नहीं अब भी ज़िन्दगी
चल रहे चार पहिए वहीं
पर शहर ये अब कुछ बदला बदला सा है,
वक़्त ये मुझे रुक कर कुछ महसूस करने दे
ऐसी नसीब मैंने पाई ही कहां?
जो उदासी की इन गहराइयों में डूब कर
तुम्हे फिर से एक बार चुने का मौका मिले।
शायद आगे का सफर कुछ खाली खाली सा है,
तुम हो तो नहीं साथ मेरे
लेकिन शायद फर्क अब इतना भी नहीं।
कुछ पल के लिए ही सही लौट आते हो,
कभी बनके यादें और कभी सपनों में,
पर तुम अब मेरी जरूरत नहीं।
आदत तोड़ने की भी आदत डाल ली मैंने,
शायद इसलिए फर्क अब इतना भी नहीं।
तुम्हारा साथ था तो कुछ आसान सा था।
यूं तुम्हारी बचकानी बातों पे हस्ते हस्ते लुड़कना
और उन पलों को याद करके रो पड़ना
वो मुस्कान, वो मुस्कान कुछ अलग सी थी,
वो बचपना तुम्हारा कुछ मासूम सा था।
गुमसुम में अब भी नहीं
हां रह गई कुछ शिकयतें अनकही
चलो नाराजगी तुमसे अब भी नहीं।
ज़िन्दगी की इस लंबी सड़क पे तुम एक हमसफ़र तो थे
लेकिन तुम मेरी मंज़िल हो नहीं।
यूंही चलते चलते किसी मोड़ पे मिलेंगे फिर कभी।।
Hope is a dangerous thing, it can move mountains when we seek it.
Ummeed pe to kayam he Zindagi.
Zindagi ka dusra naam umeed hi toh hai..!
👏👏👏