नसीब में हमारे
फूल ही फूल
कागज़ के ही सही,
उनमे खुशबू तो नहीं
पर तुम्हारी यादें छुपी हैं ,
कभी कभी लगता हैं कि
मैं कितना मूर्ख हूं
जो इन फूलो को संभाले
आंसुओ से पानी देकर
थोड़ी कदर करता हूं
दूसरों के लिए जो केवल कागज़
मेरे लिए प्यार, खुशबू और यार,
कभी कभी लगता हैं कि
काश मैं भी देख पाता
कितने रंग है उन फूलों में
कभी आओ तो तुम्हे भी दिखाऊ
मेरे कागज़ के फूल ।
- Snehal