यह ज़िन्दगी क्या-क्या दिखाती है ...
यह ज़िन्दगी भी नाजाने,
हमें क्या-क्या दिखाती है ।
ज़रूरी बातों की, बारिश से जैसे ;
हमें, कई बार गुज़रने पर मजबूर कराती हैं ।
तो कभी ,
फ़िज़ूल की, बातों पर सोचने पर भी ;
हमें, मजबूर कर जाती है ।
यह ज़िन्दगी भी नाजाने ,
हमें क्या कुछ दिखाती है ।
कभी, जनाज़े से गुज़ार कर ;
हमें, लाश के दफ़न होने तक, का चक्र दिखाती है ।
तो कभी, भीड़ से गुज़ार कर ;
हमें, ज़िंदा लाशों के होने का, एहसास दिलाती है ।
यह ज़िन्दगी भी नाजाने ,
हमें, क्या-कुछ दिखाती है ।
कभी, दुनिया भर में, हमें घुमा कर भी मानो,
ख़यालों की दुनिया से, वंचित सी रख जाती है ।
तो, कभी मानो ;
दुनिया के एक कोने में रहकर भी ,
हमें, ख़यालों की दुनिया की सैर करवाती है ।
यह ज़िन्दगी भी नाजाने ;
हमें क्या कुछ दिखाती है ।
यह, ज़िन्दगी भी नाजाने ;
हमें, क्या कुछ दिखाती है ।
©FreelancerPoet
After weeks of silence, u r on a roll...