चलो दोबारा रंगीन लम्हो को सजाते है
फासले जो बन गए थे,उन्हें निपटा लेते है
तुम जो कहती थी,झेल लोगे मेरी हर मुस्तेदी को
चलो उस वादा-ए-वफ़ा पर अमल कर लेते है
तमाम शिकवों को चलो एक बार भुला देते है
एक दूसरे की मौजूदगी को महसूस करते है
पलको को नम कर,गहरी साँसे लेते हुए
चलो एक बार फिर दिल की सुनते है
अनकही जज़्बातों को चलो बेपरदा करते है
नजरो को जुबान से तजवुज कर जाने देते है
लफ़्ज़ों की दायरों को पार कर के
"चलो आओ आज बाते कर लेते है"
~उज्ज्वल प्रदीप सरकार
beautiful💓