हम वो नहीं जो दिखते है, बाज़ारो में जो बिकते है, हम वो नहीं। सपनो में जो आते है, हम वो भी नहीं। कलाकारी में जोे उभर जाए, हम वो नहीं। तुमने जो पूछा कौन है हम, तो ख्याल आया, हम वो नहीं जो सोचतेे थे, हम वो नहीं जो समझते थे, प्यार का जिसने गुनाह किया, हम वो नहीं। आँसु को घुट घुट पीया, हम वो नहीं। उसके लिए जो कुर्बान हो, हम वो नहीं। जिसका घर परिवार आबाद हो, हम वो नहीं। कागज़ों में जो कलाकार हो, हम वो नहीं। अंदर से ये बात निकले, अफसानों में जो याद आयेे, हम वो नहीं। गुलशन यु उड़ाता जाए, हम वो नहीं। दीवाना बनता फिरे जो, हम वो नहीं। जिस दिन ये जान जाए, कौन है, कहाँ से आए, जीवन की कथा पूरी हो जाए, इस प्रश्न का उत्तर जब आए, सुख शांति की प्राप्ति हो जाए, तबतक हम ना जाने हम कौन है, पर पाप के रास्ते पे जो चले, हम वो नहीं।
~ स्नेहल देव।